मास्क और सैनिटाइजर को मिल सकता है दवा का दर्जा
कोरोना संकट की वजह से मास्क एवं सैनिटाइजर की मनमानी कीमत पर रोक लगाने के लिए इन दोनों वस्तुओं को दवा का दर्जा दिया जा सकता है। दवा का दर्जा मिलते ही इनकी कीमत नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) द्वारा तय होगी। उस कीमत से अधिक दाम पर इन्हें बाजार में नहीं बेचा जा सकेगा। कोरोना से बचने के उपाय में शामिल मास्क एवं सैनिटाइजर की बढ़ी मांग को देखते हुए खुदरा स्तर पर इनकी मनमानी कीमत वसूली जा रही है। हिमाचल प्रदेश ड्रग्स मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के सलाहकार एस. सिंगला ने बताया कि 100 एमएल के सैनिटाइजर की फैक्ट्री कीमत 25 से 27 रुपये है, लेकिन बाजार में इसे 200-250 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इसकी अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) 80-90 रुपये तक होनी चाहिए। तीन प्लाई तक के मास्क की फैक्ट्री कीमत महज एक रुपया है, जबकि इसे खुदरा बाजार में 25-50 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इसकी अधिकतम कीमत पांच रुपये तक होनी चाहिए। तीन प्लाई के मास्क को कोरोना वायरस रोकने के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। सैनिटाइजर के उत्पादन के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है, लेकिन अभी कई जगहों पर अवैध तरीके से सैनिटाइजर बनाने का काम शुरू हो गया है। 27 रुपये में बनने वाला 100 एमएल सैनिटाइजर 250 में बिक रहा दवा का दर्जा मिल जाने के बाद एनपीपीए तय करेगी कीमत|