ट्रेडर से मैन्यूफैक्चरर बन रहे छोटे कारोबारी

ट्रेडर से मैन्यूफैक्चरर बन रहे छोटे कारोबारी


कोरोना संकट से देश में दहशत तो है, लेकिन इससे कारोबार के लिए नए अवसर भी बन रहे हैं। यही वजह है कि मैन्यूफैक्चरर से ट्रेडर बन चुके हमारे छोटे उद्यमी अब फिर से मैन्यूफैक्चरर बनने की तैयारी में जुट गए हैं। छोटे उद्यमी खासकर उन वस्तुओं के घरेलू निर्माण की तैयारी कर रहे हैं, जिनकी कीमत चीन में मात्र 10 फीसद कम है। मौजूदा माहौल में चीन से सामान मंगाने की अनिश्चितता के साथ लागत में भारी बढ़ोतरी भी छोटे उद्यमियों को अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को फिर से चालू करने के लिए प्रेरित कर रही है। पिछले 10 साल में सैकड़ों छोटे उद्यमियों ने मैन्यूफैक्चरिंग का काम छोड़ दिया और चीन से आयातित माल के कारोबारी बन गए। चीन से आने वाला माल भारत के मुकाबले सस्ता होता है और मैन्यूफैक्चरिंग में कई प्रकार के झंझट भी होते हैं। अब कोरोना के चलते इन छोटे उद्यमियों के सामने कारोबारी संकट के साथ मैन्यूफैक्चरिंग के नए अवसर भी हैं। चीन से भारतीय बाजार तक माल पहुंचने में कितना समय लगेगा, इसका अंदाजा छोटे उद्यमी नहीं लगा पा रहे हैं। हालांकि, चीन ने माल की डिलीवरी के लिए ऑर्डर लेना शुरू कर दिया है। चीन से माल मंगाकर कारोबार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि हम कारोबारी दो प्रकार से चीन से कारोबार करते हैं। एक होता है डायरेक्ट और दूसरा होता है एजेंट के माध्यम से। डायरेक्ट का मतलब हुआ कि हम सीधे कंपनी को ऑर्डर करते हैं। डायरेक्ट कारोबार करने वाले कारोबारी ऑर्डर प्लेस करने लगे हैं, लेकिन चीन से माल कब आएगा और भारतीय बंदरगाह पर उसे क्लियरेंस मिलने में कितना समय लगेगा, यह सब अनिश्चित है। चीन की वर्तमान स्थिति : केंद्रीय वाणिज्य मंत्रलय के मुताबिक चीन की फैक्टियां उत्पादन के पुराने स्तर पर लौटने के लिए संघर्ष कर रही हैं। प्रवासी श्रमिकों के नहीं लौटने की वजह से चीन में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में 35 फीसद तक की गिरावट व स्मार्टफोन की शिपमेंट में 40 फीसद गिरावट का अनुमान है। मौजूदा अवसर को देखते हुए हिमाचल प्रदेश में बल्क ड्रग्स की कई इंडस्ट्री रिवाइव हो रही हैं। फिर से छोटी-छोटी यूनिट चालू होने की तैयारी में हैं। उद्यमियों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारे देश में बल्क ड्रग या दवा के कच्चे माल का उत्पादन नहीं हो सकता है, लेकिन पर्यावरण समेत कई अन्य प्रकार के सख्त नियमों की वजह से घरेलू स्तर पर निर्माण की जगह चीन से आयात ज्यादा आसान लगता है। सतीश सिंगला, सलाहकार, हिमाचल ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन। चीन से माल मंगाना भी काफी महंगा पड़ रहा है। जिस कंटेनर को मंगाने के लिए उन्हें 1.6 लाख रुपये लगते थे, अब उन्हें 2.40 लाख रुपये लग रहे हैं। अब घरेलू स्तर पर ही कृषि उपकरण संबंधित कई आइटम बनाने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि चीन के ऐसे आइटम 10 फीसद तक ही सस्ते होते हैं। देश में बनने पर क्वालिटी भी अच्छी होगी और कोरोना जैसे संकट के समय किसी प्रकार की समस्या नहीं रहेगी।